पिज़्ज़ा का इतिहास – स्वाद भरा लम्बा सफर

पिज्जा सबसे पहले गरीब लोगो के लिए बनाया गया था क्योंकि यह सस्ता था और पेट भी भरता था। पिज्जा का इतिहास यूनान से शुरू हुआ था  जो 2100 साल पुराना हैं ।आधुनिक समय का पिज्जा जो हमें खाने को मिलता है वह इटली का तोहफा है। 

पिज़्ज़ा का इतिहास 

पिज़्ज़ा का इतिहास यूनान में शुरू हुआ लेकिन आधुनिक पिज़्ज़ा को इटली में स्वीकार करने पर विचार किया जाता है। पिज़्ज़ा पहली बार 18वीं सदी में इटली के नेपल्स नामक शहर में बनाया गया था। इसकी शुरुआत गरीबों के लिए निर्माण से होती है।

नेपल्स कहे जाने वाले शहर में आसपास के क्षेत्रों और कस्बों से लोग रोजगार की तलाश में लौट आते थे, ऐसे में उन्हें सस्ता खाना चाहिए था ताकि उनका पेट भर सके और पैसा भी कम खर्च हो सके। सड़क किनारे रैपिड मील को बढ़ावा देने वाले इंसान उनका सबसे प्रभावी सहारा रहे हैं। प्रारंभ में, सब्जियों और मांस के संरक्षित टॉपिंग का उपयोग करके लोगों को फ्लैट ब्रेड खरीदा गया था।

अधिकांश कर्मचारी काम पर जाने से पहले नाश्ते के रूप में  ब्रेड पर सब्जी और मीट की टॉपिंग खाकर निकल जाते थे। इस समय उन्हें ये भोजन बहुत सस्ते में मिल जाता था। सबसे सस्ती टॉपिंग में पोर्क, नमक और लहसुन का इस्तेमाल किया गया था। टॉपिंग की अन्य शैलियों में घोड़ी के दूध पनीर (कैसियोकावल्लो), मछली, काली मिर्च और पोमोडोरो का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि थोड़ा महंगा हो सकता था।

पिज्जा की शुरुआत इटली के नेपल्स शहर के एक बेकर “राफेल एस्पिओसिटो ” ने की थी। साल 1889 में किंग अम्बर्टो फर्स्ट और क्वीन मार्गरिटा ने नेपल्स (इटली) का दौरा किया, उन्हें फ्रेंच खाना बहुत पसंद आया। इसलिए भ्रमण पर आए राजा-रानी को अक्सर फ्रेंच खाना खिलाया जाता था, लेकिन कुछ समय बाद दोनों एक ही तरह का खाना खा-खाकर ऊब गए। उसने नेपल्स के अधिकारियों से कुछ नया खाने के लिए अनुरोध किया।

फिर वहाँ के अधिकारियों ने “राफेल एस्पिओसिटो” कहा, उसने पिज्जा के तीन रूप बनाये और उसे राजा और रानी के सामने परोसा।

तीन तरह के पिज्जा

  • यह घोड़ी के दूध पनीर, बीफ और तुलसी के टॉपिंग के साथ बनाया जाता है।
  • इसे  व्हाइटबेट  मछली से तैयार किया गया था।
  • इसमें टमाटर, भैंस का दूध पनीर और तुलसी की टॉपिंग है।

जब उन तीनों प्रकार के पिज़्ज़ा को राजा और रानी को परोसा गया, तो रानी मार्गरीटा ने एक तिहाई को बहुत पसंद किया। यह पिज्जा “पिज्जा मार्गरीटा” के नाम से प्रसिद्ध हो गया है।

पिज़्ज़ा का इतिहास

उन्नीसवीं शताब्दी में, अमेरिका में इटालियंस की संख्या बढ़ने लगी, इस दौरान उन्होंने अपने साथ पिज्जा बनाने की विधि अमेरिका में पेश की। वर्ष 1950 में, न्यूयॉर्क शहर में “लोम्बार्डी” नाम का एक रेस्तरां शुरू हुआ, और यह एक पिज़्ज़ा की दुकान बन गई।

पड़ोस के लोगों के स्वाद को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे यह पिज्जा अमेरिका के कई छोटे-बड़े शहरों में फैल गया। पिज्जा को सूखने से बचाने के लिए टमाटर के स्लाइस के विपरीत टमाटर का पेस्ट इस्तेमाल किया जाता है (पकाने के समय)।

1960 के 12 महीनों के आसपास, टॉम और जेम्स नाम के भाइयों ने “डोमिनिक्स” नाम से पिज्जा इतिहास की एक श्रृंखला पेश की। इसी कड़ी को बढ़ाने के लिए उन्होंने पिज्जा को घर-घर पहुंचाना शुरू किया। डोमिनिक कुछ ही समय में अमेरिका में प्रसिद्ध हो गए। 1965 के वर्ष में, डोमिनिक का नाम बदलकर “डोमिनोज़” कर दिया गया। उस समय डोमिनोज़ में सबसे सरल तीन दुकानें हुआ करती थीं और यही कारण है कि आज हमें “डोमिनोज़ लोगो” में तीन बिंदु देखने को मिलते हैं। डोमिनोज़, जो अमेरिका में शुरू हुआ, धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया।

पिज़्ज़ा का इतिहास भारत में

पिज़्ज़ा भारत में भी बहुत लोकप्रिय है, यह अब तक का सबसे तेज़ भोजन है जिसे छोटे और बूढ़े सभी जानते हैं। खासकर युवा इसे बड़े चाव से खाते हैं, पिज्जा की दुकानें छोटे-बड़े हर शहर में लगी हुई हैं. भारत में पिज्जा का रिकॉर्ड ज्यादा पुराना नहीं है, करीब 25 साल पहले 18 जून 1996 को ग्रीस में जन्मा पिज्जा इटली और अमेरिका होते हुए भारत पहुंचा था।

भारत में पहली बार पिज्जा हट नाम की कंपनी ने बेंगलुरु में अपना आउटलेट खोला। यहीं से धीरे-धीरे पिज्जा का स्वाद भारतीय लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा।

डोमिनोज की बात करें तो पिज्जा हट के बाद इसका पहला आउटलेट नई दिल्ली में खुला था। 2009 में कंपनी ने अपना नाम Jubilant Food Works Limited Company रख लिया था। भारत में आज भी  यह कंपनी  डोमिनोज़ पिज़्ज़ा बनाती है और उन्हें बेचती है।

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