Karak Kitne Prakar Ke Hote Hain?

इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे की Karak Kitne Prakar Ke Hote Hain। लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं की कारक किसे कहते हैं। 

Karak Kise Khte Hain?

कारक एक ऐसा शब्द है जो आमतौर पर संज्ञा, संज्ञा वाक्यांश, सर्वनाम या क्रिया से पहले प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, संज्ञा, सर्वनाम और वाक्यांशों को एक वाक्य में अन्य शब्दों से जोड़ता है ताकि वाक्य को पाठकों के लिए बोधगम्य बनाया जा सके।

उदाहरण : रीता कलम से लिखती है।

Karak Kitne Prakar Ke Hote Hain?

हमने यह तो जान लिया की कारक किसे कहते हैं। अब हम जानेंगे की Karak Kitne Prakar Ke Hote Hain।

यह आठ प्रकार के होते हैं। जिनके बारे में जानकारी सहित नीचे दिया गया है। 

कर्ता कारक

जो कार्य करता है उस व्यक्ति को कर्ता करक कहा जाता है। जैसे राम ने खाना खाया। इस वाकया में राम कर्ता है। इसका विभक्ति चिन्ह ने है।

कर्म कारक 

जिस वस्तु पर काम का फल पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे सीमा ने राधा को मारा। यहाँ मारने की क्रिया का फल राधा पे पड़ा है। इसका विभक्ति चिन्ह को है।

करण कारक

जिस साधन से कर्ता काम करता है उसे करण कारक कहते हैं। जैसे शाम ने मोहन को चाकू से मारा। इसमें शाम चाकू से मोहन को मारने का काम करता है। इसका विभक्ति चिन्ह से, के द्वारा है।

सम्प्रदान कारक

सम्प्रदान का अर्थ है देना। सम्प्रदान कारक एक संज्ञा का हिस्सा है जो इंगित करता है कि किसे कुछ दिया जा रहा है या किसके लिए कुछ किया जा रहा है। जैसे सीमा ब्राह्मण को दान देती है। इसमें ब्राह्मण को सम्प्रदान कारक है। इसका विभक्ति चिन्ह के लिए,को है।

Karak Kitne Prakar Ke Hote Hain

अपादान कारक

अपादान  कारक एक संज्ञा के रूप को संदर्भित करता है जो विभाजन की भावना व्यक्त करता है। अलगाव की भावना के अलावा, इसका अर्थ सीखना, जलन, शर्मिंदगी या तुलना भी हो सकता है। जैसे पेड़ से पत्ते गिरते हैं। यहाँ पेड़ से अपादान कारक है। इसका विभक्ति चिन्ह से (अलग होने के अर्थ में) है।

सम्बन्ध कारक

सम्बन्ध कारक एक संज्ञा या सर्वनाम का रूप है जो एक वाक्यांश में किसी अन्य संज्ञा के संबंध को इंगित करता है। का, के, की, ना, ने, नो, रा,रे,री आदि इसके परसर्ग हैं। संबंध कारक की यह विशेषता है कि इसके विभक्ति (का, के, की) संज्ञा, लिंग और शब्द के आधार पर भिन्न होते हैं। जैसे राजा दशरथ के चार बेटे थे। इसका विभक्ति चिन्ह का, के, की है।

अधिकरण कारक

आधार या आश्रय अधिकरण का अर्थ है। अधिकरण कारक संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप है जो क्रिया-विषय (स्थान, समय, अवसर आदि) का बोध कराता है।जैसे मेज पर पुस्तक रखी थी। इसका विभक्ति चिन्ह में, पे, पर है।

सम्बोधन कारक

सम्बोधन कारक एक शब्द या वाक्यांश है जिसका उपयोग किसी को संबोधित करने या संदर्भित करने के लिए किया जाता है। जैसे अरे बच्चों , शांत  हो जाओ। इसका विभक्ति चिन्ह हे,अरे है।

Karak Ke Kriya Chinh

विभक्ति कारक क्रिया चिन्ह
प्रथमा कर्ता ने
द्वितीया कर्म को
तृतीया करण से, के द्वारा
चतुर्थी सम्प्रदान के लिए , को
पंचमी अपादान से (अलग होने के अर्थ में)
षष्ठी सम्बन्ध का, के, की
सप्तमी अधिकरण में, पर
सम्बोधन सम्बोधन हे! ओर!

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