प्रदूषण की समस्या पर हिंदी में निबंध

प्रदूषण निश्चित रूप से इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक माना जाता है जो घटने के बजाय प्रतिदिन बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण, ग्रह पर मौजूद सभी जीवित प्राणी घातक बीमारियों के विशिष्ट रूपों से निपट रहे हैं।

प्रदूषण से न सिर्फ जीव-जंतु त्रस्त हो रहे हैं, बल्कि दुनिया में हर तरह की घटनाएं हो रही हैं। प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत की कमी और हरित घरेलू प्रभाव जैसी प्रमुख समस्याओं में भी योगदान देता है।

और यह प्रदूषक हमारे द्वारा बनाए गए रासायनिक तत्वों से उठ रहे हैं। प्रदूषकों की इस परेशानी को हल्के में न लेते हुए इसके खिलाफ जरूरी कदम उठाने की जरूरत है, नहीं तो यह भविष्य में सभी जीवों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

हवा, पानी, मिट्टी और ध्वनि आदि में खतरनाक पदार्थों के मिलने से होने वाले संदूषण को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषकों के विभिन्न रूपों के कई खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं।

मानव निर्मित सामग्री हर्बल सामग्री के साथ मिश्रित होती है और हर्बल सामग्री दूषित हो जाती है। आज प्रदूषकों के कारण प्रत्येक सजीव और अनिवासी कारक एक साथ या चक्रीय रूप से प्रभावित होते हैं। प्रदूषकों के कारण पृथ्वी की जलवायु, जलवायु और फूल भी विशेष रूप से प्रभावित हुए।

सर्दी का मौसम, गर्मी का मौसम और बारिश का मौसम जैसे मौसम अपना संतुलन खो चुके हैं, आजकल मौसम में तेजी से बदलाव करना आम बात हो गई है। बिना मौसम के बारिश होती है, सर्द मौसम और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है।

भारत में प्रदूषकों का देश बहुत चिंताजनक हो सकता है। राजधानी दिल्ली भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है, जिससे बीमारियां लोगों के शरीर में अपना घर बना रही हैं। आने वाले समय में प्रदूषक भारी खतरा पैदा कर सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषित पदार्थ या प्रदूषक के अनुसार प्रदूषण को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। प्रदूषित होने वाले पदार्थों के अनुसार प्रदूषकों का वर्णन 4 प्रकार से किया जाता है –

जल प्रदूषण – कोई व्यक्ति अपने शरीर में जो कुछ भी खाता है उसकी स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। पानी मनुष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और पानी के बिना सभी जीवित प्राणियों और जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। आज जल की स्वच्छता का स्तर बहुत कम होता जा रहा है, उसका प्रमुख कारण नदियों, तालाबों और जलाशयों के जल में कल-कारखानों के माध्यम से अपशिष्ट रासायनिक पदार्थों का निकलना है। ये सामग्रियां बहुत खतरनाक हैं और मानव शरीर के भीतर गंभीर बीमारियां पैदा करती हैं।

वायु प्रदूषण  – वायु प्रदूषण की समस्या भी सबसे बड़ी समस्या है, वायु प्रदूषक फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएँ और वाहनों से निकलने वाले धुएँ के कारण हो रहे हैं। हवा में बहुत ही खतरनाक और जहरीली गैसों का मिश्रण होता है, जो सांस लेने के दौरान तुरंत हमारे शरीर के अंदर चली जाती है और फेफड़ों को प्रभावित करती है।

ध्वनि प्रदूषण – ध्वनि प्रदूषण  वाहनों के हार्न एवं लाउडस्पीकरों से उत्पन्न ध्वनि के कारण होता है, जिससे मनुष्य सुनने में परेशानी तथा बौद्धिक असंतुलन जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। शादियों और त्योहारों की बर्थडे पार्टी में लोग पटाखों का इस्तेमाल करते हैं, जो शोर और वायु प्रदूषक दोनों के लिए जिम्मेदार है।

भूमि प्रदूषण – मिट्टी की पहली दर लगातार कम हो रही है, कई जहरीली और खतरनाक सामग्री भूमि में डूबी हुई है जो अब सड़ती नहीं है। ऐसी सामग्री मिट्टी की प्रथम दर को कम कर रही है। किसान कृषि में अधिक उपज के लिए रासायनिक पदार्थों का भी प्रयोग करते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करते हैं।

प्रदूषण की समस्या

प्रदूषण  के हानिकारक प्रभाव

  • प्रदूषित पदार्थों का अविलंब या आड़े-तिरछे प्रयोग सभी को प्रभावित करता है। अत्यधिक प्रदूषित वायु से मनुष्य को सांस की समस्या, आंखों में जलन, नाक की समस्या, गले की बीमारी, कोरोनरी हार्ट अटैक, अस्थमा, खांसी जैसे कई परिणाम होंगे। वायु प्रदूषकों का भी कई तरह से परिवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • प्रदूषित पदार्थों के पानी में डूबने के कारण जलीय जीवों की कई प्रजातियों का ह्रास हो गया है। यह पूरी तरह से पूरी खाद्य श्रृंखला को प्रभावित कर रहा है।
  • पानी में रहने वाले छोटे जीव पारा, कैडमियम जैसे खतरनाक पदार्थों को खाते हैं, फिर मछलियां उन छोटे जीवों को खाती हैं और अंत में इंसान मछलियों को खाते हैं।
  • भूमि और मिट्टी के प्रदूषक कई प्रकार के कैंसर, त्वचा रोग और विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मृदा प्रदूषक मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को नष्ट कर देते हैं।
  • और इसका प्रभाव मिट्टी के कटाव जैसा होता है। ध्वनि प्रदूषकों के कारण बौद्धिक असंतुलन, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और सुनने में परेशानी जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

प्रदूषण की समस्या क्या है?

दोस्तों अगर प्रदूषकों की समस्या के बारे में बात करें तो प्रदूषक दुनिया में सबसे बड़ी समस्या है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत में भी वायु प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. आज भारत में और अपनी तरह के कई देशों में हवा, पानी और मिट्टी के प्रदूषक बिल्कुल उच्च स्तर पर हैं। आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि भारत में बड़ी सड़कों के निर्माण के कारण हमारे संयुक्त राज्य अमेरिका में पाई जाने वाली झाड़ियाँ नियमित रूप से काटी जा रही हैं।

और सड़कों पर दिन रात चलने वाली मोटरें और मोटरें जहरीली गैस यानी जहरीला धुआं छोड़ती हैं। यह जहरीला फ्यूलोलाइन हमारे वातावरण में पाए जाने वाले फ्यूलोलिन के साथ मिलकर पृथ्वी को प्रदूषित करता है। यह हवा में जलवाष्प के साथ मिलकर खतरनाक तरीके से हवा को प्रदूषित करता है।

प्रतिदिन हम सांस लेते हैं और इस वातावरण में पाई जाने वाली वायु के भीतर ही रहते हैं। और यह जहरीला वायु प्रदूषक हमारे शरीर को अलग-अलग तरीकों से काफी नुकसान पहुंचाता है। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, गया, पटना और कोलकाता जैसे बड़े शहर बड़ी मात्रा में जल और वायु प्रदूषकों के प्रभाव बन गए हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहर खासतौर पर प्रदूषकों के मामले में हैं।

प्रदूषण की समस्या का निवारण

  • प्रदूषकों की परेशानी को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन समय के साथ कुछ जरूरी कदम उठाकर इसे कम किया जा सकता है।
  • कारखानों का धुआँ, कारों का धुआँ, प्लास्टिक का उपयोग ऐसे कई तत्व हैं जो प्रदूषकों को बहुत बड़ी मात्रा में प्रेरित करते हैं, जिसके लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • लोगों को व्यक्तिगत कारों का कम से कम उपयोग करने की आवश्यकता है और जितना संभव हो सार्वजनिक या बिजली से चलने वाली कारों का उपयोग करें।
  • दीवाली जैसे बड़े मेलों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जाए और शादियों में डीजे, लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाकर ध्वनि प्रदूषण को एक हद तक कम किया जा सकता है।
  • हवा में कार्बन डाईआक्साइड जैसी गैसें बढ़ रही हैं, यही ग्रीन होम इफेक्ट का मुख्य कारण है, इसके लिए आसपास पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को हरा-भरा रखना होगा।
  • प्रदूषकों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार समय-समय पर अभियान चलाना चाहती है। स्वच्छ भारत अभियान ऐसा ही एक महत्वपूर्ण अभियान है।
  • जिसकी वजह से इंसान का फोकस साफ-सफाई और प्रदूषकों पर बढ़ गया है।

प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है?

अगर हम प्रदूषण की समस्या को रोकने की बात करें तो सबसे पहले हमें कार का इस्तेमाल कम करना चाहिए और प्लास्टिक का इस्तेमाल भी कम करना चाहिए क्योंकि गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुआं हमारे वातावरण में मिलकर हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। .

प्रदूषण की परेशानी से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और लकड़ी के कटाव को कम करना चाहिए और ऐसे कई तरीके हैं जिनका उपयोग करके हम प्रदूषण की परेशानी को रोक सकते हैं।

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